डेंगू के कारण, लक्षण, जटिलताएँ, निदान, उपचार, रोकथाम और सावधानियों
डेंगू एक गंभीर लेकिन रोके जाने योग्य बीमारी है। समय पर पहचान, उचित इलाज और रोकथाम के उपाय अपनाकर इससे बचा जा सकता है। अगर लक्षण गंभीर हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि देरी जानलेवा हो सकती
डेंगू क्या है?
डेंगू बुखार एक वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के काटने से फैलता है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है, जैसे भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका आदि।
डेंगू के कारण
डेंगू वायरस (DENV) के चार प्रकार होते हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4।
जब संक्रमित मादा एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तो वायरस उसके रक्त में प्रवेश कर जाता है।
यह मच्छर दिन के समय अधिक सक्रिय रहते हैं और साफ, ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, जैसे टायर, गमले, पानी की टंकी आदि।
डेंगू संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से नहीं फैलता, केवल मच्छर के काटने से ही फैलता है।
डेंगू के लक्षण
डेंगू के लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 4-10 दिन बाद दिखते हैं। इनमें शामिल हैं:
तेज बुखार (104°F तक)
सिरदर्द
आंखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द (इसीलिए इसे "हड्डी तोड़ बुखार" भी कहते हैं)
त्वचा पर लाल चकत्ते या दाने
मतली, उल्टी
थकान, कमजोरी
गले में दर्द
कुछ मामलों में, लक्षण हल्के होते हैं और 1-2 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाते हैं।
डेंगू के गंभीर लक्षण (Severe Dengue)
कई बार डेंगू गंभीर रूप ले सकता है, जिसे डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) कहते हैं। इसके लक्षण:
तेज पेट दर्द
लगातार उल्टी
सांस लेने में दिक्कत
मसूड़ों या नाक से खून आना
मल/वमन में खून आना
त्वचा पीली, ठंडी और चिपचिपी
बेहोशी या चक्कर आना
ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल जाना चाहिए, क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है।
डेंगू की जटिलताएँ
डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF): इसमें शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है, जिससे रक्तस्राव (ब्लीडिंग) का खतरा बढ़ जाता है।
डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS): रक्तचाप अचानक गिर जाता है, जिससे अंगों तक रक्त नहीं पहुँचता और अंग फेल हो सकते हैं।
प्लाज्मा लीकेज: रक्त में प्लाज्मा का रिसाव, जिससे शरीर में सूजन, श्वास की दिक्कत, किडनी/लिवर फेलियर हो सकता है।
मृत्यु: यदि समय पर इलाज न मिले तो डेंगू जानलेवा भी हो सकता है।
डेंगू का निदान
क्लिनिकल जांच: डॉक्टर लक्षणों के आधार पर संदेह करते हैं।
ब्लड टेस्ट:
प्लेटलेट काउंट,
WBC,
हेमेटोक्रिट,
एलाइजा टेस्ट,
NS1 एंटीजन,
IgM/IgG एंटीबॉडी टेस्ट आदि।
डेंगू का उपचार
डेंगू का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों के अनुसार उपचार किया जाता है:
आराम करें: शरीर को भरपूर आराम दें।
तरल पदार्थ लें: पानी, जूस, सूप आदि लें ताकि डिहाइड्रेशन न हो।
बुखार व दर्द के लिए पैरासिटामोल: एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन न लें, क्योंकि इससे ब्लीडिंग का खतरा बढ़ता है।
गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती: प्लेटलेट्स बहुत कम होने पर प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन किया जा सकता है।
ब्लीडिंग या शॉक की स्थिति में इमरजेंसी ट्रीटमेंट।
डेंगू से बचाव और रोकथाम
मच्छरदानी, रिपेलेंट्स, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
घर के आसपास पानी न जमा होने दें।
कूलर, गमले, टायर, टंकी आदि की सफाई करें।
मच्छरजनित ब्रीडिंग स्पॉट खत्म करें।
दिन के समय बच्चों को बाहर खेलने से रोकें या सुरक्षा के उपाय करें।
डेंगू के मरीज को मच्छर से बचाकर रखें, ताकि वायरस आगे न फैले।
डेंगू के दौरान क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
डॉक्टर की सलाह लें
तरल पदार्थ ज्यादा लें
बुखार के लिए पैरासिटामोल लें
शरीर को आराम दें
क्या न करें:
एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन न लें
खुद से प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन न करवाएँ
घरेलू नुस्खों पर निर्भर न रहें
डेंगू के बाद रिकवरी
अधिकांश लोग 1-2 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं।
कमजोरी कई हफ्तों तक रह सकती है।
संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और आराम जरूरी है।
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