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स्कैन क्या है? सीटी स्कैन के उपयोग

 स्कैन क्या है ?

सीटी स्कैन (Computed Tomography Scan) एक अत्याधुनिक इमेजिंग तकनीक है, जिसमें एक्स-रे किरणों और कंप्यूटर तकनीक का उपयोग करके शरीर के अंदरूनी हिस्सों की बहुत ही स्पष्ट और विस्तृत 2D व 3D छवियां (images) तैयार की जाती हैं। यह तकनीक हड्डियों, मांसपेशियों, रक्त वाहिकाओं, अंगों, फैट टिशू, और जोड़ों आदि की बीमारियों, चोटों या असामान्यताओं का पता लगाने के लिए प्रयोग की जाती है

सीटी स्कैन पारंपरिक एक्स-रे से कहीं अधिक सटीक और डिटेल्ड होता है, जिससे डॉक्टर को बीमारी की सही स्थिति और इलाज की योजना बनाने में मदद मिलती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक साथ कई एंगल से एक्स-रे लेकर शरीर के अंदरूनी हिस्सों की क्रॉस-सेक्शनल इमेज बनाता है, जिसे कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस करके 3D रूप में देखा जा सकता है।

सीटी स्कैन की लागतसीटी स्कैन के उपयोगसीटी स्कैन के लाभसीटी स्कैन की लागतसीटी स्कैन के लिए सावधानियांक्या सीटी स्कैन दर्दनाक है? नहीं, यह पूरी तरह दर्दरहित प्रक्रिया है।  क्या सीटी स्कैन के लिए भूखे रहना पड़ता है? कभी-कभी, खासकर पेट या कंट्रास्ट डाई वाले स्कैन में।  सीटी स्कैन में कितना समय लगता है? आमतौर पर 10-30 मिनट।स्कैन क्या है? सीटी स्कैन के उपयोग


सीटी स्कैन का इतिहास और विकास

सीटी स्कैन का आविष्कार 1972 में सर गॉडफ्रे हाउंसफील्ड और एलन कॉरमैक ने किया था। इस तकनीक के आने से चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आ गई। शुरुआती दिनों में यह सिर्फ सिर के लिए होता था, लेकिन आज यह शरीर के लगभग हर हिस्से के लिए किया जाता है। 1979 में इसके आविष्कारकों को चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार भी मिला8

सीटी स्कैन कैसे काम करता है?

सीटी स्कैन मशीन एक बड़ी गोलाकार या अर्धवृत्ताकार टनल जैसी होती है। इसमें एक मोटर चालित मेज होती है जिस पर मरीज को लेटाया जाता है। मेज धीरे-धीरे स्कैनर के अंदर जाती है। स्कैनर के अंदर एक्स-रे ट्यूब और डिटेक्टर लगे होते हैं, जो शरीर के विभिन्न कोणों से एक्स-रे किरणें भेजते हैं। ये किरणें शरीर से गुजरकर डिटेक्टर पर पहुंचती हैं, जहाँ से कंप्यूटर डाटा लेकर इमेज बनाता है।

सीटी स्कैन की प्रक्रिया:

  1. तैयारी (Preparation):

    • मरीज को आरामदायक कपड़े पहनने के लिए कहा जाता है।

    • धातु की वस्तुएं (गहने, बेल्ट आदि) निकालने को कहा जाता है।

    • कभी-कभी कंट्रास्ट डाई (Contrast Dye) दी जाती है, जिससे इमेज और स्पष्ट आती हैं। यह डाई नस में इंजेक्ट की जा सकती है या पीने के लिए दी जाती है।

  2. स्कैनिंग (Scanning):

    • मरीज मेज पर लेटता है। मेज धीरे-धीरे स्कैनर के अंदर जाती है।

    • एक्स-रे बीम शरीर के विभिन्न हिस्सों की इमेज लेती हैं।

    • मरीज को कुछ मिनट तक स्थिर रहना होता है ताकि इमेज स्पष्ट आ सके।

    • पूरी प्रक्रिया आमतौर पर 10-30 मिनट में पूरी हो जाती है

  3. रिपोर्ट और रिजल्ट:

    • स्कैनिंग के बाद रेडियोलॉजिस्ट इमेज की जांच करता है और रिपोर्ट तैयार करता है।

    • रिपोर्ट मरीज के डॉक्टर को भेजी जाती है, जो आगे की सलाह देते हैं।

सीटी स्कैन के प्रकार

प्रकारविशेषता/उपयोग
सीक्वेंशियल CTपारंपरिक तकनीक, एक-एक स्लाइस लेकर इमेज बनाता है।
स्पाइरल/हेलिकल CTटेबल लगातार घूमती है, तेजी से 3D इमेज बनती है, आपातकालीन स्थिति में उपयोगी।
ड्यूल एनर्जी CTदो अलग-अलग ऊर्जा स्तर, अधिक स्पष्टता, खासकर हृदय और रक्त वाहिकाओं के लिए।
CT परफ्यूजनरक्त प्रवाह, अंगों में ब्लड वॉल्यूम व ट्रांजिट टाइम का आकलन, स्ट्रोक में उपयोगी।
CT एंजियोग्राफीरक्त वाहिकाओं (आर्टरी/वेन्स) की इमेजिंग, ब्लड क्लॉट, ब्लॉकेज आदि की पहचान।
कार्डियक CTहृदय की संरचना, कोरोनरी आर्टरी, हार्ट वाल्व आदि की जांच।
एब्डॉमिनल/पेल्विक CTपेट, आंत, गुर्दा, पथरी, कैंसर, ब्लीडिंग आदि की जांच।
हड्डी/जोड़ CTजटिल फ्रैक्चर, लिगामेंट इंजरी, गाउट आदि की डायग्नोसिस।
ईयर CTकान की चोट, संक्रमण, ट्यूमर, फ्रैक्चर आदि की जांच।

सीटी स्कैन के उपयोग

  • कैंसर का पता लगाना: ट्यूमर की पहचान, आकार और स्थान का आकलन, स्टेजिंग।

  • चोटों का मूल्यांकन: आघात से फ्रैक्चर, आंतरिक रक्तस्राव या अंग क्षति का पता लगाना।

  • संक्रमण का निदान: अंगों या ऊतकों में फोड़े या संक्रमण का पता लगाना।

  • सर्जरी/बायोप्सी में मार्गदर्शन: बायोप्सी, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी में सहायता।

  • दीर्घकालिक रोगों की निगरानी: कैंसर, हृदय रोग, फेफड़ों के विकारों की प्रगति या उपचार प्रतिक्रिया ट्रैक करना।

  • रक्त वाहिकाओं की जांच: ब्लड क्लॉट, धमनीविस्फार या ब्लॉकेज की पहचान।

  • हड्डी और जोड़: जटिल फ्रैक्चर, गठिया, हड्डी के ट्यूमर आदि की पहचान।

सीटी स्कैन के लाभ

  • तेज़, दर्दरहित और सटीक जांच।

  • 3D इमेजिंग से बीमारी की बेहतर पहचान।

  • एक साथ हड्डियों, आंतरिक अंगों और रक्त वाहिकाओं का मूल्यांकन।

  • आपातकालीन स्थिति (ट्रॉमा, ब्रेन स्ट्रोक) में तुरंत परिणाम।

  • सर्जिकल और उपचार योजना में सहायता।

सीटी स्कैन के जोखिम

  • रेडिएशन एक्सपोजर: सामान्य एक्स-रे से अधिक, लेकिन सीमित मात्रा में।

  • कंट्रास्ट डाई से एलर्जी: कुछ मरीजों में एलर्जी या किडनी पर असर, विशेष सावधानी जरूरी।

  • गर्भवती महिलाओं में सावधानी: रेडिएशन के कारण, डॉक्टर की सलाह आवश्यक।

सीटी स्कैन की लागत

सीटी स्कैन की कीमत भारत में 2,000 से 15,000 रुपये तक हो सकती है, जो स्कैन के प्रकार, अंग, अस्पताल व शहर के अनुसार बदलती है।

सीटी स्कैन के लिए सावधानियां

  • डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री, एलर्जी, गर्भावस्था, किडनी रोग आदि की जानकारी दें

  • कंट्रास्ट डाई के बाद अधिक पानी पिएं ताकि डाई जल्दी बाहर निकल जाए।

  • स्कैन के दौरान स्थिर रहना जरूरी है, जिससे इमेज स्पष्ट आए।

सीटी स्कैन और अन्य इमेजिंग तकनीकों में अंतर

तकनीकउपयोगविशेषता
एक्स-रेहड्डी, फेफड़ेकम डिटेल, 2D इमेज
अल्ट्रासाउंडपेट, प्रेग्नेंसीध्वनि तरंगों से, रेडिएशन नहीं
एमआरआईब्रेन, स्पाइनचुंबकीय तरंगें, सॉफ्ट टिश्यू
सीटी स्कैनलगभग सभी अंग3D इमेज, तेज़, स्पष्ट

सीटी स्कैन के बाद क्या करें?

  • सामान्यतः स्कैन के बाद तुरंत सामान्य गतिविधियां कर सकते हैं।

  • अगर कंट्रास्ट डाई दी गई है, तो अधिक पानी पिएं।

  • अगर एलर्जी या कोई असुविधा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सीटी स्कैन के परिणाम की व्याख्या

सीटी स्कैन की रिपोर्ट रेडियोलॉजिस्ट द्वारा तैयार की जाती है।
सामान्य परिणाम:

  • सभी अंग, ऊतक और संरचनाएं सामान्य दिखती हैं।

  • कोई फ्रैक्चर, ट्यूमर, द्रव संचय या असामान्यता नहीं।

असामान्य परिणाम:

  • ट्यूमर, फ्रैक्चर, द्रव संचय, असामान्य अंग आदि।

सीटी स्कैन से जुड़े सामान्य प्रश्न

  • क्या सीटी स्कैन दर्दनाक है?
    नहीं, यह पूरी तरह दर्दरहित प्रक्रिया है।

  • क्या सीटी स्कैन के लिए भूखे रहना पड़ता है?
    कभी-कभी, खासकर पेट या कंट्रास्ट डाई वाले स्कैन में।

  • सीटी स्कैन में कितना समय लगता है?
    आमतौर पर 10-30 मिनट।


सीटी स्कैन चिकित्सा विज्ञान की एक क्रांतिकारी तकनीक है, जिससे डॉक्टर शरीर के अंदरूनी हिस्सों की सटीक और स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह कैंसर, चोट, संक्रमण, रक्तस्राव, हड्डी रोग, हृदय रोग आदि की पहचान और उपचार में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि इसमें रेडिएशन का जोखिम होता है, लेकिन डॉक्टर की सलाह और उचित सावधानी के साथ यह एक सुरक्षित और प्रभावी जांच है।

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